Wednesday, June 13, 2012

Woh Khwab meri - Avaneesh Gahoi


वो ख्वाब मेरी 
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कभी परी तो कभी अप्सरा है,

कभी दुआ तो कभी दवा है

कभी तपिश तो कभी सर्द हवा है.
कभी दिल में होती है तो कभी नजर में,
कभी यादों में तो कभी ख्वाबो मैं.
कभी जानी-पहचानी है तो कभी अनजानी सी
थोड़ी पगली सी है, थोड़ी दीवानी सी.
कभी पल्लवी सी है तो कभी पंखुड़ी सी,
थोड़ी नाजुक सी है बहुत प्यारी सी.
न जाने वो ऐसी है या सिर्फ मुझे लगती है,
मगर जो भी है बहुत अपनी सी लगती है.
न जाने ये सच है या सिर्फ एक ख्वाब है
वो दूर होकर भी मेरे बहुत पास है |
~~ अवनीश गहोई ~~
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