Sunday, June 17, 2012

Tumhara chehra - Kusum


 तुम्हारा चेहरा 
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तुम्हारा चेहरा झील जैसा उसमे ये आँखे कमाल है
कभी ये चंचल हो जैसे झरना
इनकी गहराइयो में समुन्दर जैसे उसमे हो उतरना

तुम्हारी आँखे है या जादू की पुडिया
इशारों पे अपनी नाचती है दुनिया
उठती है पलके तो उगता है सूरज

विरानो को छू कर सिखा दे सवारना
सजदे में झुक जाऊ दिल मेरा चाहे
तुम्हारी ये आँखे खुदा की शक्ल है
हुम्हारा चेहरा झील जैसा उसमे ये आँखे कमाल है । 
~~ कुसुम ~~
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