Sunday, June 17, 2012

Koi baat chale - Ashish Pant

कोई बात चले ...
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मद्धिम सूरज, संतरी आकाश, उजले बादल
उठती लहर, ढलती शाम, हल्का चाँद
शीतल पवन, शांत साहिल, ढीली रेत और मूंगफली - बस
फिर हम बैठें तुम बैठो कोई बात चले

काली रात, जगमगाता शहर, उजली राहें
भागते वाहन, गलियां रोशन, जर्रा रोशन,
ऊंची मीनार वीरान छत ढेर से तारे और चने के दाने - बस
फिर हम बैठें तुम बैठो कोई बात चले

पहली बारिश, सौंधी मिट्टी, टिन की छत
ठंडा फर्श, खुली खिड़की, हल्के छींटे
जलती अंगीठी, उठता धुआं और गरम भुट्टा - बस
फिर हम बैठें तुम बैठो कोई बात चले

भागती ट्रेन, लम्बा सफ़र, साफ़ आसमान,
झिलमिलाती नदी, लम्बा पुल, दूर पहाड़,
खेत खलिहान, पकती फसल और दाल मोठ - बस
फिर हम बैठें तुम बैठो कोई बात चले

चलती घडी, रुका लम्हा, गहरी सांस
कांपते हौंठ, बढती धड़कन, गूँजता सन्नाटा
खामोश जुबान, बोलती निगाह और.... तृप्ति - बस
फिर हम बैठें तुम बैठो कोई बात चले...

~~ आशीष पन्त ~~
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