Sunday, June 17, 2012

Sangam - Ankit Jain

संगम
__________________

अंतर्मन में उठा एक प्रश्न : क्या है संगम?
जग में कैसे है व्याप्त अनेक रूपों में संगम?
क्या है महत्व उसका जो है अजित अमी संगम?
प्रकृत रूप में सर्वोपरि क्यों है यह अटल संगम?

संपूर्ण संसार का कर्णधार है यह विस्तृत गगन,
संपूर्ण संसार को जीवन देते कर्मठ धरा व पवन,
वह अद्वितीय, अकल्पनीय सौंदर्य होता है अनुपम,
क्षितिज पर होता जब इन सब तत्वों का संगम।

विशाल हिमालय से होता गंगा यमुना का उद्गम,
सरस्वती जन्म लेती जिससे वह है मानसरोवर चरम,
इन तीनों सखियों का मिलन लगता थल में अगम,
परन्तु लोचन तृप्त होते देख प्रयाग में इनका संगम।

दो तरुओं के गले मिलने से बनता एक कानन,
दो नभचरों का परस्पर प्रेम दर्शाता उनका मिलन,
इसी प्रकार सृष्टि के तत्वों का मेल होता सक्षम,
नैसर्गिक रूप में हमारे चारों ओर विराजमान है संगम।

माता के गर्भ में शिशु मन होता है अति चंचल,
व्याकुल होता है वह जीवन पाने को हर पल,
आत्मीय हर्ष रूपी रुदन से सम्बंधित होता उसका जन्म,
अपूर्व प्रसन्नता युक्त होता भव से उसका संगम।

जीवन काल में मनुष्य का उद्देश्य होता ज्ञान अर्जन,
विद्यार्थी सफल होने के लिए करता लाखों प्रयत्न,
अनुभव के संग वह संग्रह करता अगिनत आगम,
धी के सिन्धु से छलकता है कामयाबी से उसका संगम।

इसी प्रकार सुख-दुःख से गुजर हम करते कार्य निष्पादन,
सद्गुणों के पथ पर चलते हम करते ईश का कोटि कोटि नमन,
जीवन काल के चरम पर जब लेकर आते बुलावा यम,
कितना शांतिपूर्ण होता है भू के साथ मनुष्य का संगम।

अंतर्मन में प्रश्न कचोट रहा : क्या है संगम?
जवाब अब मिला : प्रकृति का सौन्दर्य है संगम,
संपूर्ण मानव जीवन का आधार है संगम,
सर्वव्यापी इश्वर की सर्वोत्तम रचना है संगम।

~~ अंकित जैन ~~ 
__________________

No comments:

Post a Comment