Sunday, June 17, 2012

Shaan e Maut - Ankit R Nema

शान ऐ मौत
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 ताउम्र जलो तन्हाई की आग मे, 
 नहीं आता कोई बुझाने को.,
जरा बुझने दो साँसों की शमा,
 काफिला चलेगा पीछे फिर से आग लगाने को,

एक क़दम जमीन नहीं मिलती कदम बढ़ाने को,
थमने दो साँसे, दो गज जमीन आएगी हिस्से ख़ाक में मिलाने को ,

एक कन्धा भी नहीं हासिल, अश्क बहाने को
 गुजरेंगे जब , पीछे दौड़ेगा जमाना काँधे पर उठाने को ,

नहीं शामिल मेरे गम में कोई ,
आने दो दिन रुखसती का,
मायूस चेहरे के संग आएगा दुश्मन भी,
जनाजे पर, अश्क गिराने को

~~ अंकित आर नेमा ~~
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