मुझे संघर्षरत रहने दो
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मुझे संघर्षरत रहने दो
अभी हवाओ की डोर थामी है
मौसमों से कहने दो
मुझे संघर्षरत रहने दो ...
तलवों ने अभी रेत चूमी
जिज्ञासा अभी इर्द हिर्द घूमी है
अंगड़ाई लेकर रूह जागी अभी
इसे प्रातः की पहली किरण छूने दो
मुझे संघर्षरत रहने दो ...
इतनी प्यास की समुन्दर सूख जाए
इतिहास आज खुद से ऊब जाए
जीवन मरण की सेज बिछाकर
कुछ कर्त्तव्य अर्पित करने दो
मुझे संघर्षरत रहने दो ...
माना घनी रात है उजाला नहीं
प्रेरणा दीप से कब डरा धुधलका नहीं
एक दीप ही सही आंधियो में
प्रेरणा के नाम प्रज्वलित रहने दो
मुझे संघर्षरत रहने दो ...
अभी हवाओ की डोर थामी है
मौसमों से कहने दो
मुझे संघर्षरत रहने दो ...
तलवों ने अभी रेत चूमी
जिज्ञासा अभी इर्द हिर्द घूमी है
अंगड़ाई लेकर रूह जागी अभी
इसे प्रातः की पहली किरण छूने दो
मुझे संघर्षरत रहने दो ...
इतनी प्यास की समुन्दर सूख जाए
इतिहास आज खुद से ऊब जाए
जीवन मरण की सेज बिछाकर
कुछ कर्त्तव्य अर्पित करने दो
मुझे संघर्षरत रहने दो ...
माना घनी रात है उजाला नहीं
प्रेरणा दीप से कब डरा धुधलका नहीं
एक दीप ही सही आंधियो में
प्रेरणा के नाम प्रज्वलित रहने दो
मुझे संघर्षरत रहने दो ...
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संजय किरार
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