"मतदान "
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अपनी ढपली , अपना राग ,
बेसुरी धुन व बेसुरी तान,
फिर से वही गवैये आये,
फिर मतदान के दिन हैं आये।
जगह -जगह बरसाती मेंढक ,
निकल आये मेढ़ों पर चढ़ कर ,
जाने कैसे गीत ये गायें ,
फिर मतदान के दिन हैं आये।
वही पुरानी चित - परिचित धुन,
अपनी मैं -मैं ,दूजों की चुप,
लीपा -पोती सीख के आयें ,
फिर मतदान। ……।
लिए आये फिर धूर्त चरित्र ,
माला फूलों के वही चित्र ,
हार में खुद को हार ना जाएँ ,
फिर मतदान के। ……।
जगह जगह फिर उत्स खड़ा है ,
मतदाता वीभत्स खड़ा है ,
अक्ल पे धुंध व् बादल छाये ,
फिर मतदान। …
कुत्ते -बिल्ली , शेर -बिलाव ,
लड़ें ज्जोर व् फेंकें दाव ,
शर्म को ताक पे ही धर आये ,
फिर मतदान। …
रंक महीपति सभी खड़े हैं ,
क्षेत्र छोड़ कहीं दूर लड़े है ,
सामने से वो भिड़ने जाएँ।,
फिर मतदान ..........
कोई लल्ला , कोई अल्ला वाले ,
बड़े ठगों के हैं कोई साले ,
सबका माल पेट में जाए ,
फिर मतदान। ....
हरदम हल्ले , हरदम रैली ,
दुनिया भीतर -बाहर मैली ,
आम - ख़ास कुछ समझ ना पाये ,
फिर मतदान के दिन हैं आये।
जरा अगर देश कि होती ,
फिर यूं त्राहि -त्राहि न होती ,
बच्चे भूखे ही सो जाएँ ,
फिर मतदान। ....
जन -जन पे रोटी जो होती ,
शिक्षा की सोटी जो होती ,
ओ प्रभु दिन ये क्यूँ दिखलाये ,
फिर मतदान के दिन हैं आये।
देश की बेटी लाज जो होती ,
युवकों में कुछ लाज जो होतीं ,
देश को दिन फिर ही लग जाएँ,
फिर मतदान
चुनो जरूर सब देख - परख के ,
मत देना सब आँख में रख के ,
फिर से देश शिखर पे जाए
फिर मतदान। ....
लाईन लगेगी , छुट्टी होगी ,
घर में खीर , बाहर भी होगी,
सभी चलो मिल बाँट के खाएं ,
फॉर मतदान। …
आह !ये कैसा शुभ दिन आया ,
सारी खुशियां संग ही लाया,
वोटर जब से हैं बन पाये ,
फिर मतदान। …
पंडित ,मोची ,धोबी , नाई ,
मास्टर , क्लर्क ,बढ़ई , हलवाई ,
सभी एक संग हैं लो आये ,
फिर मतदान। .......
नंदी -भाभी ,सास बिदक गईं ,
मित्र -पड़ोसन भी लो भिड़ गईं ,
काहे को जी राड़ बढ़ाएं ,
फिर मतदान के। …
मन्नत तीरथ व्रत हैं बोले ,
बाला जी, पुष्कर ,या भोले ,
तीरथ भजन कुछ काम न आये ,
फिर मतदान। ………
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ममता शर्मा
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