महफूज
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माँ !
मैं बहुत खुश हूँ
यहाँ तुम्हारे अंदर...
सुखी,सुरक्षित,निर्भीक
और स्वतन्त्र भी.
ले सकती हूँ
अपनी मर्जी की साँसें
यहाँ मेरे लिए
कोई बंदिश भी नहीं है
फैला सकती हूँ पंखें
उड़ सकती हूँ निर्बाध.
दूर-दूर तक नहीं है यहाँ
घृणित मानसिकता की
घूरती आँखें
आदमजात की खालों में
पशुओं की घातें.
महफूज हूँ उन खतरों से भी
जिससे तुम्हें हर रोज वाकिफ
होना पड़ता है
मेरी दुनियाँ छोटी ही सही पर
तुम्हारी दुनिया जितनी
स्याह और विषैली नहीं है...
मैं बहुत खुश हूँ
यहाँ तुम्हारे अंदर...
सुखी,सुरक्षित,निर्भीक
और स्वतन्त्र भी.
ले सकती हूँ
अपनी मर्जी की साँसें
यहाँ मेरे लिए
कोई बंदिश भी नहीं है
फैला सकती हूँ पंखें
उड़ सकती हूँ निर्बाध.
दूर-दूर तक नहीं है यहाँ
घृणित मानसिकता की
घूरती आँखें
आदमजात की खालों में
पशुओं की घातें.
महफूज हूँ उन खतरों से भी
जिससे तुम्हें हर रोज वाकिफ
होना पड़ता है
मेरी दुनियाँ छोटी ही सही पर
तुम्हारी दुनिया जितनी
स्याह और विषैली नहीं है...
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पल्लव
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