Saturday, December 24, 2011

Judai - Altaf Raja

________________________________________________

जुदाई
________________________________________________




गम जुदाई का यूं तो बहुत था मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते रोते हमें घर को आना पड़ा

गम जुदाई का यूं...


वो तो चल भी दिया, दिल मेरा तोड़ कर
मुझ पे बीती है क्या, काश लेता खबर
ये वो गम है जो होगा न कम उम्र भर
होगा पानी का क्या पत्थरों पे असर
इतना रोया हूँ मैं, याद कर के उसे
आसुओं में मुझे डूब जाना पड़ा

गम जुदाई का यूं...


जिसकी खातिर ज़माने को ठुकरा दिया
उसकी चाहत में मुझको मिला ये सिला
गैर के साथ उसका मिलन हो गया
मेरी मजबूरियों की नहीं इंतेहा
उसकी शादी में उसकी खुशी के लिए
प्यार के गीत मुझको भी गाना पड़ा

गम जुदाई का यूं तो बहुत था मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते रोते हमें घर को आना पड़ा

~~ अल्ताफ राजा ~~

________________________________________________

No comments:

Post a Comment