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मेरे देश की माटी सोना
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मेरे देश की माटी, सोना, सोने का कोई काम ना.
जागो भैया भारतवासी, मेरी है ये कामना.
दिन तो दिन है, रातों को भी, थोडा-थोडा जागना,
माता के आँचल पर भैय्या ,आने पावे आँच ना.
अमर धरा के वीर सपूतो, भारत माँ की शान तुम,
माता के नयनों के तारे. सपनों के अरमान तुम.
तुम हो वीर शिवा के वंशज, आजादी के गान हो,
पौरुष की हो खान, अरे तुम, हनुमत से अनजान हो.
तुमको है आशीष राम का, रावण पास ना आये,
अमर प्रेम हो उर में इतना, भागे भय से वासना.
आज देश का वैभव रोता, मरु के नयनों मे पानी है,
मानवता रोती है दर - दर,उसकी भी यही कहानी है.
उठ कर गले लगा लो तुम, विश्वास स्वयं ही सम्हलेगा,
तुम बदलो भूगोल जरा, इतिहास स्वयं ही बदलेगा.
आड़ी - तिरछी मेंट लकीरें , नक्शा साफ बनाओ,
एक देश हो, एक वेश हो, धरती कभी न बाँटना.
गैरों का कंचन माटी है, देश की माटी सोना.
माटी मिल जाती माटी में, रह जाता है रोना.
माटी की खातिर मर मिटना, माँगों को सूनी कर देना,
आँसू पी - पी सीखा हमने, बीज शान्ति के बोना.
कौन रहा धरती पर भैय्या, किस के साथ गई है,
दो पल का है रेंन बसेरा, फिर हम सबको भागना.
हम धरती के लाल, और यह हम सबका आवास है.
हम सबकी हरियाली धरती, हम सबका आकाश है.
क्या हिन्दू, क्या रूसी चीनी, क्या इंग्लिश अफगान,
एक खून है सबका भैय्या , एक सभी की साँस है.
उर को बना विशाल ,प्रेम का पावन दीप जलाओ,
सीमाओं को बना असीमित, अन्तःकरण सँवारना.
मेरे देश की माटी, सोना ...........
~~ आनंद विश्वास ~~
जागो भैया भारतवासी, मेरी है ये कामना.
दिन तो दिन है, रातों को भी, थोडा-थोडा जागना,
माता के आँचल पर भैय्या ,आने पावे आँच ना.
अमर धरा के वीर सपूतो, भारत माँ की शान तुम,
माता के नयनों के तारे. सपनों के अरमान तुम.
तुम हो वीर शिवा के वंशज, आजादी के गान हो,
पौरुष की हो खान, अरे तुम, हनुमत से अनजान हो.
तुमको है आशीष राम का, रावण पास ना आये,
अमर प्रेम हो उर में इतना, भागे भय से वासना.
आज देश का वैभव रोता, मरु के नयनों मे पानी है,
मानवता रोती है दर - दर,उसकी भी यही कहानी है.
उठ कर गले लगा लो तुम, विश्वास स्वयं ही सम्हलेगा,
तुम बदलो भूगोल जरा, इतिहास स्वयं ही बदलेगा.
आड़ी - तिरछी मेंट लकीरें , नक्शा साफ बनाओ,
एक देश हो, एक वेश हो, धरती कभी न बाँटना.
गैरों का कंचन माटी है, देश की माटी सोना.
माटी मिल जाती माटी में, रह जाता है रोना.
माटी की खातिर मर मिटना, माँगों को सूनी कर देना,
आँसू पी - पी सीखा हमने, बीज शान्ति के बोना.
कौन रहा धरती पर भैय्या, किस के साथ गई है,
दो पल का है रेंन बसेरा, फिर हम सबको भागना.
हम धरती के लाल, और यह हम सबका आवास है.
हम सबकी हरियाली धरती, हम सबका आकाश है.
क्या हिन्दू, क्या रूसी चीनी, क्या इंग्लिश अफगान,
एक खून है सबका भैय्या , एक सभी की साँस है.
उर को बना विशाल ,प्रेम का पावन दीप जलाओ,
सीमाओं को बना असीमित, अन्तःकरण सँवारना.
मेरे देश की माटी, सोना ...........
~~ आनंद विश्वास ~~
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