Saturday, December 24, 2011
Judai - Altaf Raja
Shiv Ka Dhanush - Kaka Hathrasi
शिव का धनुष
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~~ काका हथरसी ~~
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Nigah dhundata hoon - Ankita Jain
Mere desh ki maati sona - Anand Vishwas
जागो भैया भारतवासी, मेरी है ये कामना.
दिन तो दिन है, रातों को भी, थोडा-थोडा जागना,
माता के आँचल पर भैय्या ,आने पावे आँच ना.
अमर धरा के वीर सपूतो, भारत माँ की शान तुम,
माता के नयनों के तारे. सपनों के अरमान तुम.
तुम हो वीर शिवा के वंशज, आजादी के गान हो,
पौरुष की हो खान, अरे तुम, हनुमत से अनजान हो.
तुमको है आशीष राम का, रावण पास ना आये,
अमर प्रेम हो उर में इतना, भागे भय से वासना.
आज देश का वैभव रोता, मरु के नयनों मे पानी है,
मानवता रोती है दर - दर,उसकी भी यही कहानी है.
उठ कर गले लगा लो तुम, विश्वास स्वयं ही सम्हलेगा,
तुम बदलो भूगोल जरा, इतिहास स्वयं ही बदलेगा.
आड़ी - तिरछी मेंट लकीरें , नक्शा साफ बनाओ,
एक देश हो, एक वेश हो, धरती कभी न बाँटना.
गैरों का कंचन माटी है, देश की माटी सोना.
माटी मिल जाती माटी में, रह जाता है रोना.
माटी की खातिर मर मिटना, माँगों को सूनी कर देना,
आँसू पी - पी सीखा हमने, बीज शान्ति के बोना.
कौन रहा धरती पर भैय्या, किस के साथ गई है,
दो पल का है रेंन बसेरा, फिर हम सबको भागना.
हम धरती के लाल, और यह हम सबका आवास है.
हम सबकी हरियाली धरती, हम सबका आकाश है.
क्या हिन्दू, क्या रूसी चीनी, क्या इंग्लिश अफगान,
एक खून है सबका भैय्या , एक सभी की साँस है.
उर को बना विशाल ,प्रेम का पावन दीप जलाओ,
सीमाओं को बना असीमित, अन्तःकरण सँवारना.
मेरे देश की माटी, सोना ...........
~~ आनंद विश्वास ~~
Meri Zindagani - Gaurav Mani Khanal
कुछ नगमे अधूरे से,
कुछ ख्वाब सुनहरे से,
कभी हकीक़त तो कभी सपनो की कहानी,
यही है मेरी जिंदगानी,
कुछ पल का साथ आपनो का,
लम्बी रातो मे साथ सूनेपन का ,
कभी महफ़िल तो कभी तन्हाई की कहानी,
यही है मेरी जिंदगानी,
बहुत नाजुक धागा प्यार का,
पल भर मे बिखर जाता है महल कॉच का,
कभी प्यार तो कभी दर्द की कहानी,
यही है मेरी जिंदगानी,
एक भरा टोकरा यादो का,
खट्टी मीठी बातो का,
कभी खुशी कभी गम की कहानी,
यही है मेरी जिंदगानी,
ये पल है संसार का,
एक पल आएगा श्मशान का,
मेरे अच्छे बुरे कर्मो की निशानी,
यही है मेरी जिंदगानी...
~~ गौरव मणि खनाल ~~
Ek Ajnabi Raat - Sushil Kumar Singh
कुछ ऐसे बीती, उनकी ठंढी सी मुलाकात,
जाने कहा से वो, सूरज ढलते ही आये थे,
तलासु मै चैन, वो बेचैनी का सेज लाये थे,
पलकों से उठ कर जब नज़ारे देखती,
वही कोने में मिटी-2 सी नीद रह जाती,
आँखों के किनारों पे सपने हजार थे,
पर उनकी एक झलक ही बाकि थी,
कहे "अकेला" इस रात अकेला नहीं था,
कुछ चटपटे लम्हों से घिर सा गया था,
फिर हांथो पे अपने सर को ठहराए,
दिल के पीछे धड़कन को छिपाए,
एक टक-टकी सी लगी थी दरवाजो पे,
उनकी हल्की-2 छनकती पाजो पे,
तभी झरोखों से कट के आती ठंढी हवा,
जैसे उनका ही अहशास हो रहा हो,
यारो सरे बाज़ार उनका नाम न पूछना,
मेरी मोहब्बत का कभी एहशान न पूछना,
कहू कहानी क्या उस अजनबी रात की,
सुनो मेरी जबानी उस मुलाकात की,
तकियों से लिपटी हुयी एक अजनबी रात,
कुछ ऐसे बीती, उनकी ठंढी सी मुलाकात
Friday, December 23, 2011
Tere nishan - Abhishek kumar Gupta
सवाल तो कई है लेकिन जवाबो का पता नहीं |
वफ़ा तो याद, पर ना मालूम, कि क्या खता रही |
जो पता तूने दिया खुद, उस पर ही तेरा पता नहीं ||
इतनी दूर यूँ चला आया मैं, तेरे इश्क में थी ऐसी इबादत,
आँखों में बेताबी थी और दिल में सिर्फ मोहब्बत |
तू ना थी साथ और पथ पर आई बहुत सी रुकावट ,
गम ना था उस दर्द का, केवल एक है अब शिकायत,
मजिल पर तो मैं पहुँच गया लेकिन तेरा कोई निशाँ नहीं ,
जो पता तूने दिया खुद, उस पर ही तेरा पता नहीं ||
नभ पर सप्तऋषि सा, तुम्हारे जीवन का संकेत तो दिखता है,
उस दिशा में देखू तो ना ध्रुव, ना कोई अवशेष झलकता है |
तुम आये थे तो इस ओर, तेरे पैरो के निशान मैं जानता हूँ |
तुम रोये थे, मिटटी के मिली तेरे आंसूओ की खुशबू मैं पहचानता हूँ |
तेरी हर एक बात मुझे याद, तड़पा सता रही ,
जो पता तूने दिया खुद, उस पर ही तेरा पता नहीं ||
सफ़र तो था साथ किया शुरू, प्यार ही था केवल एक कायदा |
ना जाने कब बिछड़े तुम, पर फिल मिलने का था एक वायदा |
मेरे आने में थोड़ी देर हुई, क्या उसकी ऐसी सजा मिली |
इंतजार तो अभी भी करेंगे, हार मानने की अभी रजा नहीं |
अनजान पंक्षियों को सुनने की कोशिश करता, शायद ये कुछ बता रही,
जो पता तूने दिया खुद, उस पर ही तेरा पता नहीं ||
Sunday, August 14, 2011
Samay Dhara – Gaurav Mani Khanal
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समय धारा
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समय की धारा मे बहता जा रहा हु,
कोई डर नहीं मन मे है,
निर्भीक हो के चला जा रहा हु,
किनारों की कोई खबर नहीं,
बस जैसे जैसे समय धारा चलती,
मुझको भी चलते जाना है,
मंजिल कहा मेरी किसको पता,
कल कहा लेजायेगी धारा किसको पता,
मुझे तो आज ही मौज मानना है,
बस जैसे जैसे समय धारा चलती,
मुझको भी चलते जाना है,
कभी छल छल करती बहती धारा,
कभी शांत स्थिर रहती है,
मै भी धारा के संग बदलता हु,
कभी मुस्कुराता तो कभी रोता हु,
बस जैसे जैसे समय धारा चलती,
मुझको भी चलते जाना है,
आज देश कल परदेश लेजाती है,
कभी सुख कभी दुःख दिखाती है,
सुख दुःख देश परदेश घुमते हुए,
मुझे आपनी अनदेखी मजिल पानी है,
बस जैसे जैसे समय धारा चलती,
मुझको भी चलते जाना है,
आपनी मजिल को पाना है
बस जैसे जैसे समय धारा चलती,
मुझको भी चलते जाना है...
~ गौरव मणि खनाल
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Friday, July 22, 2011
Ab akele chalna hoga – Gaurav mani khanal
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अब अकेले चलना होगा
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अब अकेले चलना होगा गौरव मणि खनाल. |
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Adhunik Sanskar - Kusum
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आधुनिक संस्कार 
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न जाने क्यों मेरी आखें नम थी ।
न जाने किस दर्द में गुम थी ।
किसी भ्रम में या किसी स्वपन में गुम थी।
देख रही थी शायद आधुनिकता को ,
या फिर ढूढ़ रही थी पुराने संस्कारो को
न जाने किस चीज़ की उसको तलाश थी ।
आज अचानक देखे गए दृश्यों से दंग थी ।
या हो रहे अत्याचार से तंग थी ।
कल तक जिसने हाथ पकड़ कर चलना सिखाया था
अपने मुह का निवाला भी तुमको खिलाया था
आज उसी के लिए अपने घर पर जगह नहीं ,
आज उसकी कोई कीमत या कदर नहीं,
क्यों छोड़ देते है अकेला उनको ,
जिन्होंने स्वपन देखने सिखाये हो तुमको ।
राहो मे चलना सिखाया हो तुमको ।।
कुसुम
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Friday, July 1, 2011
Sapna sa lage - Ankita Jain "Bhandari"
Mitne wali raat nahi - Anand Vishwas
Pita - Gaurav Mani Khanal
Sunday, June 26, 2011
Adhoori chahat - Ankita Jain
Kya hum Kamzor hai - Ankita jain
Saturday, May 21, 2011
Maa ki aas - Ankesh Jain
Shabdo ki paribhasha - Vikas Chandra Pandey
Kabhi Samjha Hi Nahi - Gaurav Mani Khanal
Tum Saath Ho - Gaurav Mani Khanal
जब कभी भी तुम याद आते हो,
होठो पर मुस्कान,
आखो मे नमी छोड़ जाते हो,
किये थे वादे कितने,
बैठ तारो के संग,
उन ही तारो के साथ बैठाता हु आज भी,
यकीं है मुझको आते हो तुम हार रात,
बैठने मेरे संग,
भुलाए नही भूलता तुम्हारे यादो का रंग,
मनाये नही मानता मन मेरा की तुम नही मेरे संग,
आगंन की तुलसी मे दिया आज भी जलाता हु,
जानता हु मे आते हो तुम हर सुबह,
मागने दुआ मेरे संग,
बगीचे के फूल आज भी महकते है,
खिलते गुलाब तेरी याद दिलाते है,
बारिश की बूंद आज भी मन को भाती है,
नाचता हु आज भी मे इन बूंदों के संग,
जानता हु मे आते हो तुम हर सावन,
भीगने बारिश मे मेरे संग,
लोग कहते है तुम अब नही रहे,
मे कहता हु ऐसा कोई पल नही जब संग तुम नही हो,
नादान है नही जानते प्यार क्या होता है,
प्यार केवल संग मे नही प्यार तो विरह मे भी होता है,
वो क्या प्यार करेंगे जो साथ छुटने से टूट जाते है,
प्यार तो वो करते जो प्रियतम के यादो के साथ ही पूरी जिंदगी जी लेते हे,
तुम नही मोजूद यहाँ ये हकीकत हे दुनिया के लिए,
पर मुझे नही कोई मतलब दुनिया की इस हकीकत से,
मैंने तो रखा हे तुम्हे छुपा के आपने दिल मे,
तुम सदा वही रहोगे बन दिल की धडकन मेरे लिए...
Wednesday, April 27, 2011
Saccha Pyaar - Omprakash Maandar
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Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko; by :- Maithli Sharan Gupt . A very inspirational poem by a lovable poet...
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कवियित्री :- सुभद्रा कुमारी चौहान यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे , मैं भी उस पर बैठ कन्हिया बनता धीरे,धीरे... ले देती यदि बांसुरी...