Saturday, December 24, 2011

Judai - Altaf Raja

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जुदाई
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गम जुदाई का यूं तो बहुत था मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते रोते हमें घर को आना पड़ा

गम जुदाई का यूं...


वो तो चल भी दिया, दिल मेरा तोड़ कर
मुझ पे बीती है क्या, काश लेता खबर
ये वो गम है जो होगा न कम उम्र भर
होगा पानी का क्या पत्थरों पे असर
इतना रोया हूँ मैं, याद कर के उसे
आसुओं में मुझे डूब जाना पड़ा

गम जुदाई का यूं...


जिसकी खातिर ज़माने को ठुकरा दिया
उसकी चाहत में मुझको मिला ये सिला
गैर के साथ उसका मिलन हो गया
मेरी मजबूरियों की नहीं इंतेहा
उसकी शादी में उसकी खुशी के लिए
प्यार के गीत मुझको भी गाना पड़ा

गम जुदाई का यूं तो बहुत था मगर
दूर तक हाथ फिर भी हिलाना पड़ा
बैठ कर रेलगाड़ी में वो चल दिए
रोते रोते हमें घर को आना पड़ा

~~ अल्ताफ राजा ~~

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Shiv Ka Dhanush - Kaka Hathrasi


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शिव का धनुष
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विद्यालय में आ गए इंस्पेक्टर इस्कूल
छठी क्लास में पढ़ रहा विद्यार्थी हरफूल
विद्यार्थी हरफूल, प्रश्न उससे कर बैठे
किसने तोड़ा शिव का धनुष बताओ बेटे
छात्र सिटपिटा गया बेचारा, धीरज छोड़ा
हाथ जोड़कर बोला, सर, मैंने न तोड़ा

उत्तर सुनकर आ गया, सर के सर को ताव
फौरन बुलवाए गए हेड्डमास्टर सा'ब
हेड्डमास्टर सा'ब, पढ़ाते हो क्या इनको
किसने तोड़ा धनुष नहीं मालूम है जिनको
हेडमास्टर भन्नाया, फिर तोड़ा किसने
झूठ बोलता है, ज़रूर तोड़ा है इसने

इंस्पेक्टर अब क्या कहे, मन ही मन मुस्कात
ऑफिस में आकर हुई, मैनेजर से बात
मैनेजर से बात, छात्र में जितनी भी है
उससे दुगुनी बुद्धि हेडमास्टर जी की है
मैनेजर बोला, जी हम चन्दा कर लेंगे
नया धनुष उससे भी अच्छा बनवा देंगे


शिक्षा-मंत्री तक गए जब उनके जज़्बात
माननीय गदगद हुए, बहुत खुशी की बात
बहुत खुशी की बात, धन्य हैं ऐसे बच्चे
अध्यापक, मैनेजर भी हैं कितने सच्चे
कह दो उनसे, चन्दा कुछ ज़्यादा कर लेना
जो बैलेन्स बचे वह हमको भिजवा देना


~~ काका हथरसी ~~
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Nigah dhundata hoon - Ankita Jain

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निगाह ढूँढता हूँ 
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अब भी तेरी नज़र में मेरा गुनाह ढूँढता हूँ,
बेदर्द हर पहर में, मौत की पनाह ढूँढता हूँ !
तूने तो सरे आम मुझे गुनेहगार करार दिया,
जो तुझे तेरी बेफ़वायी दिखादे, वो निगाह ढूँढता हूँ !!

बंजर हुई ये आँखे मेरी, छू सके वो गागर अश्क भरा,
थाम सके जो सांसे मेरी, मिल जाये मुझे वो शख्स मेरा !
कर सके मेरी ये फरियाद पूरी वो अल्लाह ढूँढता हूँ
जो तुझे तेरी बेफ़वायी दिखादे, वो निगाह ढूँढता हूँ !!

बीच समंदर मुझे बुलाकर, जब छोड़ा था तूने साथ मेरा,
आया भी वापस कुछ पल को, तो थामा न तूने हाथ मेरा !
क्यूँ गैरत बनी फिर चाहत तेरी, खुद में वो गुनाह ढूँढता हूँ
जो तुझे तेरी बेफ़वायी दिखादे, वो निगाह ढूँढता हूँ !!

~~ अंकिता जैन " भण्डारी " ~~

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Mere desh ki maati sona - Anand Vishwas

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मेरे देश की माटी सोना
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मेरे देश की माटी, सोना, सोने  का  कोई  काम  ना.
जागो  भैया   भारतवासी, मेरी  है   ये    कामना.
दिन तो दिन है, रातों  को  भी, थोडा-थोडा  जागना,
माता  के आँचल पर  भैय्या ,आने  पावे  आँच  ना.

अमर  धरा  के वीर सपूतो, भारत  माँ की शान  तुम,
माता के  नयनों  के तारे. सपनों  के   अरमान  तुम.
तुम  हो वीर शिवा के वंशज, आजादी  के  गान   हो,
पौरुष  की  हो खान, अरे तुम, हनुमत से अनजान हो.

तुमको  है आशीष   राम  का, रावण पास   ना आये,
अमर  प्रेम हो  उर में इतना, भागे  भय से  वासना.

आज  देश का वैभव रोता, मरु  के नयनों मे पानी  है,
मानवता रोती है  दर - दर,उसकी  भी  यही कहानी है.
उठ कर गले लगा लो तुम, विश्वास  स्वयं ही सम्हलेगा,
तुम  बदलो  भूगोल जरा,  इतिहास स्वयं ही  बदलेगा.

आड़ी - तिरछी   मेंट लकीरें , नक्शा   साफ  बनाओ,
एक  देश  हो, एक  वेश हो, धरती  कभी न  बाँटना.

गैरों   का  कंचन  माटी है, देश  की  माटी   सोना.
माटी  मिल  जाती   माटी  में, रह  जाता  है  रोना.
माटी की खातिर  मर मिटना, माँगों  को सूनी कर देना,
आँसू  पी - पी सीखा  हमने,  बीज शान्ति के  बोना.

कौन  रहा  धरती  पर भैय्या, किस  के साथ गई  है,
दो पल  का है  रेंन  बसेरा, फिर  हम सबको  भागना.

हम  धरती के लाल, और  यह हम सबका आवास  है.
हम  सबकी हरियाली   धरती, हम  सबका  आकाश है.
क्या हिन्दू,  क्या  रूसी चीनी, क्या इंग्लिश   अफगान,
एक  खून है सबका भैय्या , एक सभी की   साँस  है.

उर  को  बना  विशाल ,प्रेम का  पावन  दीप जलाओ,
सीमाओं  को  बना  असीमित,  अन्तःकरण   सँवारना.
मेरे  देश  की  माटी,  सोना ...........


 
~~ आनंद विश्वास ~~
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Meri Zindagani - Gaurav Mani Khanal

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मेरी ज़िंदगानी
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मेरी जिंदगानी....

कुछ नगमे अधूरे से,

कुछ ख्वाब सुनहरे से,

कभी हकीक़त तो कभी सपनो की कहानी,

यही है मेरी जिंदगानी,

कुछ पल का साथ आपनो का,

लम्बी रातो मे साथ सूनेपन का ,

कभी महफ़िल तो कभी तन्हाई की कहानी,

यही है मेरी  जिंदगानी,

बहुत नाजुक धागा प्यार का,

पल भर मे बिखर जाता है महल कॉच का,

कभी प्यार तो कभी दर्द की कहानी,

यही है मेरी जिंदगानी,

एक भरा टोकरा यादो का,

खट्टी मीठी बातो का,

कभी खुशी कभी गम की कहानी,

यही है मेरी जिंदगानी,

ये पल है संसार का,

एक पल आएगा श्मशान का,

मेरे अच्छे बुरे कर्मो की निशानी,

यही है मेरी जिंदगानी...


 ~~  गौरव  मणि  खनाल  ~~
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Ek Ajnabi Raat - Sushil Kumar Singh

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 एक अजनबी रात
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तकियों से लिपटी हुयी एक अजनबी रात,
कुछ ऐसे बीती, उनकी ठंढी सी मुलाकात,


जाने कहा से वो, सूरज ढलते ही आये थे,

तलासु मै चैन, वो बेचैनी का सेज लाये थे,


पलकों से उठ कर जब नज़ारे देखती,

वही कोने में मिटी-2 सी नीद रह जाती,


आँखों के किनारों पे सपने हजार थे,

पर उनकी एक झलक ही बाकि थी,


कहे "अकेला" इस रात अकेला नहीं था,

कुछ चटपटे लम्हों से घिर सा गया था,


फिर हांथो पे अपने सर को ठहराए,

दिल के पीछे धड़कन को छिपाए,


एक टक-टकी सी लगी थी दरवाजो पे,

उनकी हल्की-2 छनकती पाजो पे,


तभी झरोखों से कट के आती ठंढी हवा,

 जैसे उनका ही अहशास हो रहा हो,


यारो सरे बाज़ार उनका नाम न पूछना,

मेरी मोहब्बत का कभी एहशान न पूछना,


कहू कहानी क्या उस अजनबी रात की,

सुनो मेरी जबानी उस मुलाकात की,


तकियों से लिपटी हुयी एक अजनबी रात,

कुछ ऐसे बीती, उनकी ठंढी सी मुलाकात

~~ सुशील कुमार सिंह ~~ 

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Friday, December 23, 2011

Tere nishan - Abhishek kumar Gupta

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तेरे निशाँ

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फिर से जिंदगी के उस मुकाम पर खड़ा हूँ |
सवाल तो कई है लेकिन जवाबो का पता नहीं |
वफ़ा तो याद, पर ना मालूम, कि क्या खता रही |
जो पता तूने दिया खुद, उस पर ही तेरा पता नहीं ||

इतनी दूर यूँ चला आया मैं, तेरे इश्क में थी ऐसी इबादत,

आँखों में  बेताबी थी और दिल में सिर्फ मोहब्बत |
तू ना थी साथ और पथ पर आई बहुत सी रुकावट ,
गम ना था उस दर्द का, केवल एक है अब शिकायत,
मजिल पर तो मैं पहुँच गया लेकिन तेरा कोई निशाँ नहीं ,
जो पता तूने दिया खुद,  उस पर ही  तेरा पता नहीं ||

नभ पर सप्तऋषि सा, तुम्हारे जीवन का संकेत तो दिखता है,

उस दिशा में देखू तो ना ध्रुव, ना  कोई अवशेष झलकता है  |
तुम आये थे तो  इस ओर, तेरे पैरो के निशान मैं जानता हूँ |
तुम रोये थे, मिटटी के मिली तेरे आंसूओ  की खुशबू मैं पहचानता हूँ  |
तेरी हर एक बात मुझे याद, तड़पा सता रही ,
जो पता तूने दिया खुद, उस पर ही  तेरा पता नहीं ||

सफ़र तो था साथ किया शुरू, प्यार ही था केवल एक कायदा |

ना जाने कब बिछड़े  तुम, पर फिल मिलने का था एक वायदा |
मेरे आने में थोड़ी देर हुई, क्या उसकी ऐसी सजा मिली |
इंतजार  तो अभी भी करेंगे, हार मानने की अभी रजा नहीं |
अनजान पंक्षियों को सुनने की कोशिश करता, शायद ये कुछ बता रही,
जो पता तूने दिया खुद,  उस पर ही  तेरा पता नहीं ||

~~ अभिषेक कुमार गुप्ता ~~
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