_______________________
हरे कृष्णा!! - गौरव मणि खनाल
_______________________
जीते जी बताया नहीं,मरने पर करे पुकार,
अब कहै क्या होए, जब यम ले गए प्राण!!
हरे कृष्णा!!
प्रेम परिभाषा सब जाने, प्रेम जाने ना कोए,
जो नर कोई प्रेम को जाने, वो प्रेममूर्ति बन जाये!!
हरे कृष्णा!!
संसार मे है सुख खोजता, खोजे पराये घर,
आपने घर कभी ना खोजा, जहा रहते परमानन्द!!
हरे कृष्णा!!
उठाकर भोर के साथ, लियो राम को नाम,
दिन भर छल कपट कियो, मुर्ख सोचे अंत काल मिलेंगे राम!!
हरे कृष्णा!!
माया पीछे भागे, लियो ना हरी का नाम,
अब शरीर सुस्त हुआ, पुकारे राम राम!!
हरे कृष्णा!!
बुरे कर्मो का फल, नरक के द्वार दिखाये,
अच्छा कर्म कर ले बन्दे, राम मिलेंगे सहाय!!
हरे कृष्णा!!
लालच ने मन को खाया, काम खा गया ह्रदय,
अब राम को कहा बैठाऊ, सोचु मै दिन रैन!!
हरे कृष्णा!!
परमानंद की खोज मै घूमा चारो धाम,गंगा नहाया पर मिले नही राम,
ढाई अक्षर प्रेम के पढ़े,सहज मिले सीता राम!!
हरे कृष्णा!!
चाहे पढो वेद सारे या रखो रोजे सारे,
नहीं मिलते राम-रहीम जानो ना जब तक प्रेम के ढाई अक्षर पुरे!!
हरे कृष्णा!!
चिंता मै दिन गए,रोये गईं रैन, नाम हरी का ना लिया,
हाय लुट गया सुख चैन!!
हरे कृष्णा!!
हरी नाम का सत्संग, तन मन निर्मल बनाये,
अधम भी साधु भये, हरी नाम की रटन लगाये!!
हरे कृष्णा!!
देख संसार का छल, मेरो मन दियो मुस्काए,
हार सुबह एक दिन काम होता जिंदगी का,फिर भी सुभ्प्रभात कहलाये!!
हरे कृष्णा!!
करले बन्दे कुछ कर्म ऐसा, जनम सफल हो जाये,
मानव तन मिला भाग्य से, यु ही व्यर्थ क्यों गवाए!!
हरे कृष्णा!!
~ गौरव मणि खनाल~
________________________________

Thank you Kavita pustak for accepting this, I worte these in 2009 when i went to ISKCON scotland..
ReplyDelete