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आज का इंसान - अंकिता जैन
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दूर रहने पर इंसान की
अहमियत का पता चलता है,
पड़े जरुरत तब
वफ़ादारी का पता चलता है |
हर कोई यहाँ अपने तेरे में लगा है,
जो दूसरों के लिए सोचे
अब एसा इंसान कहाँ मिलता है |
लड़ने को सभी हर पल तैयार हैं,
हल और सुलह से हर कोई बचता है |
अपना अच्छा सोचें या न सोचें पर,
हर पल दूसरों की बुराई के सपने बुनता है |
शायद इसलिए हर इंसान आज,
अपनों के पास होकर भी अपनों के लिए तरसता है ||
~~ अंकिता जैन ~~
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true lines....incredible poem..
ReplyDeleteloved it :)
thank you..:)
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