प्यास बरकरार रख
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धूप हो कड़ी तो क्या
तीरगी घनी तो क्या
लक्ष्य का अमृत भी तू
पायेगा पर इतना तो कर
प्यास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
मंजिलें कभी कभी
अदृश्य जो लगें तुझे
तू तनिक आराम कर
एक गहरी सांस भर
आस बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
राह हो, थकान हो
बाधाएँ तमाम हों
नींद भी गर ले पथिक
जगे हुए ख्वाब संग
रास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
हाँ, छूटते हैं आसरे
हाँ, छूटते हैं काफिले
पर सांस छूटने तलक
दिल में हौसलों का तू
वास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
बस धड़कने से ही नहीं
दिल हो जाता दिल है
आदमी बने इन्सान
इसीलिए दिल में तू
आभास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
हर हर्फ़ में जो पीड़ हो
वक़्त गूढ़ गंभीर हो
फीके क्षणों की धार में
थोड़ी हँसी को घोल के
परिहास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
गुलशन जब बेनूर हो
और वसंत कुछ दूर हो
क्रूर खिज़ाओं में डटकर
अपनी आरजूओं के
अमलतास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
नौ भावों से है बना
ये ज़िन्दगी का चित्र है
इक भी कम नहीं पड़े
खुद में नवरसों का तू
एहसास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
कल ही कल की नींव था
कल ही कल का सार है
कभी भी ये भूल मत
भविष्य को तू साध पर
इतिहास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
पहले वार में कहाँ
कटे कभी पहाड़ हैं
हर नदी मगर मिली
अन्तः अपने नदीश से
बस, प्रयास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
धूप हो कड़ी तो क्या
तीरगी घनी तो क्या
लक्ष्य का अमृत भी तू
पायेगा पर इतना तो कर
प्यास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
मंजिलें कभी कभी
अदृश्य जो लगें तुझे
तू तनिक आराम कर
एक गहरी सांस भर
आस बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
राह हो, थकान हो
बाधाएँ तमाम हों
नींद भी गर ले पथिक
जगे हुए ख्वाब संग
रास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
हाँ, छूटते हैं आसरे
हाँ, छूटते हैं काफिले
पर सांस छूटने तलक
दिल में हौसलों का तू
वास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
बस धड़कने से ही नहीं
दिल हो जाता दिल है
आदमी बने इन्सान
इसीलिए दिल में तू
आभास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
हर हर्फ़ में जो पीड़ हो
वक़्त गूढ़ गंभीर हो
फीके क्षणों की धार में
थोड़ी हँसी को घोल के
परिहास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
गुलशन जब बेनूर हो
और वसंत कुछ दूर हो
क्रूर खिज़ाओं में डटकर
अपनी आरजूओं के
अमलतास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
नौ भावों से है बना
ये ज़िन्दगी का चित्र है
इक भी कम नहीं पड़े
खुद में नवरसों का तू
एहसास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
कल ही कल की नींव था
कल ही कल का सार है
कभी भी ये भूल मत
भविष्य को तू साध पर
इतिहास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
पहले वार में कहाँ
कटे कभी पहाड़ हैं
हर नदी मगर मिली
अन्तः अपने नदीश से
बस, प्रयास बरकरार रख
तू प्यास बरकरार रख
~~ आशीष पंत ~~
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