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प्रार्थना भारतीय नेता की - : श्रवण कुमार द्विवेदी "आर्य"
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हे प्रभो आतंकदाता, टिकिट हमको दीजिये
शीघ्र सारे विरोधियों को दूर हमसे कीजिये
व्यभिचारी, कष्टकारी, मैं दुराचारी बनूँ
छल कपट हिंसा अनीति का मैं पदकधारी बनूँ
गाडी बँगला बैंक बैलेंस साल की इनकम बढे
भ्रष्टाचार के इस बाज़ार में शेयर मेरा ऊपर चढ़े
जनता जनार्दन की कृपा हम पर सदा होती रहे
करके मुझपे वो भरोसा विकास से हाथ धोती रहे
भ्रष्टाचार करता रहूँ और प्रभु जी क्या कहूं
आतंकराज में हाथ ना कांपे रिश्वत सदा लेता रहूँ
अबकी बार पी. एम. बनूँ मैं बनके वो सरकार दूँ
खून चूसे जो सभी का ऐसा भ्रष्टाचार दूँ
देश सेवा स्वार्थ मिश्रित ही सदा मेरी रहे
देश लूटूं देश खाऊं, भ्रष्ट गंगा को कर जाऊं |
~~ आर्य ~~
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