Sunday, January 16, 2011

Taruvar - Ankesh Jain तरुवर - अंकेश जैन

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एक पेड़ का पत्ता
टूटा डाली से जा बिखरा
माँ के आँचल में जा निखरा
ले चली पवन यह किस ओर
कैसा है यह शोर


सपनो का वो बादल

प्यारा सा था वो तरुवर
सूरज की किरणो ने बेधा
मेरे अन्तर्मन का शोर 
ले चली पवन यह किस ओर

उठती है सपनो की लहरें
गिरते है संशय के परदे
तूफा की धारा में बहकर
तय करने है मीलो के पहरे
ले चली पवन यह किस ओर

अंधियारे की बस्ती
मिटती नहीं मिटाये हस्ती
जीवन के अनमोल क्षणॊ को देकर
पाए है शब्दो के मोल
ले चली पवन यह किस ओर...



                                   _ अंकेश जैन


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