| नमो, नमो, नमो। नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो! नमो नगाधिराज - शृंग की विहारिणी! नमो अनंत सौख्य - शक्ति - शील - धारिणी! प्रणय - प्रसारिणी, नमो अरिष्ट - वारिणी! नमो मनुष्य की शुभेषणा - प्रचारिणी! नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो! हम न किसी का चाहते तनिक अहित, अपकार। प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार। सत्य न्याय के हेतु फहर-फहर ओ केतु हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो! तार-तार में हैं गुँथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग! दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग। सेवक सैन्य कठोर हम चालीस करोड़ कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर करते तव जय गान वीर हुए बलिदान, अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिंदुस्तान! प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो! |
Thursday, July 1, 2010
Dhwaja Vandana - Ramdhari Singh Dinkar ध्वजा वंदना - रामधारी सिंह दिनकर
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Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko; by :- Maithli Sharan Gupt . A very inspirational poem by a lovable poet...
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कवियित्री :- सुभद्रा कुमारी चौहान यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे , मैं भी उस पर बैठ कन्हिया बनता धीरे,धीरे... ले देती यदि बांसुरी...
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