Monday, January 18, 2010

Sarfaroshi ki Tamanna

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
- By Ram Prasad Bismil


सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।

करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।

रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह में
लज्जत-ऐ-सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है ।

यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार-बार
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ।

ऐ शहीदे-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार
अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है ।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।

खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींद,
आशिकों का जमघट आज कूंचे-ऐ-कातिल में है ।

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।

/ sarfarosh (film)

हाथ जिनमें हो जुनून कटते नही तलवार से
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से
और भडकेगा जो शोला सा हमारे दिल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

हम तो घर से निकले ही थे बांधकर सर पे कफ़न
जान हथेली में लिये लो बढ चले हैं ये कदम
जिंदगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल मैं है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

दिल मे तूफानों की टोली और नसों में इन्कलाब
होश दुश्मन के उडा देंगे हमे रोको न आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंजिल मे है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

3 comments:

  1. thank u very much, hope this blog contirbutes to the continuity of hindi language and literature and gets counted as one of the most importants in the run.

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