यादें
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चला जऊँगा इस जहाँ से,
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चला जऊँगा इस जहाँ से,
आंसूं छोड़ जऊँगा|
सराहा जिन चंद दिलों ने ,
बेदर्द मैं उन्हें तोड़ जऊँगा |
तड़पा था साडी ज़िन्दगी
तड़प अब भी बाकी थी |
ख्वाहिशें जोह रहीं अदूरी हमेशा,
ख्वाहिशें वोह अब भी बाकी थी|.
मोहब्बत और हिम्मत मिली बहुत,
उनके भीड़ में ही अक्सर घिरा रहा,
पर मजबूर , बेबस, बदनसीब था मैं ,
तन्हा ही ता-उम्र मैं जीता रहा |
थक - हार गया जो हालातों से,
मौत को तो खुद ही मैं अपना रहा ,
चाहत वर्ना जीने की तो,
सदा ही बाकी थी.
नाकामी हो गयी मुझ पर हावी jo
सांसे लेना भी जैसे हो गया भारी हो.
खुश सबको देखना चाहता था
पर गम ही सबको दिए जाता रहा..
और ख़त्म भी होती थी जिन पर.
ऐसे सच्चे ,शरीफ इंसानों को,
जल्लाद मैं अधर में छोड जऊँगा
सफ़र ज़िन्दगी का अब
जो अब मैं ख़त्म कर रहा हूँ
न जाने किन किन दिलों में
मैं यादें छोड जऊँगा |
ख्वाब ख़ुशी के लाया था
यादें हादसों की ले जऊँगा
वफायें निभाई संग जिनके
जफ़ाएं उनकी संग ले जऊँगा
चला जऊँगा इस जहाँ से ,
आंसूं छोड जऊँगा
सराहा जिन चंद दिलों
बेदर्द मैं उन्हें तोड़ जऊँगा
__ नितिन कुमार
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