Saturday, May 11, 2013

Prayatn - Abhishek

 प्रयत्न 
__________________________

मंजिले खोयी नहीं जाती, धुंधलाती रोशनी-ए-मशालो में ,
इश्क भुलाया नहीं जाता, साकी के पैमानों में |
समुद्र का सूरज तो रोज पानी में डूब के भी ऊपर आता है
क्यूंकि जिंदगी हारी नहीं जाती, उम्र के ढलानों में ||

उम्मीदें टूट जाती है विलापो से, ख़ुशी के ठहाको से नहीं ,
जंग जीती जाती है वफ़ा से, सैन्य लड़ाको से नहीं |
चक्रव्यूह के दरवाजो पर चाहे बैठा दो, दस महारथी,
अभिमन्युं के भेदन से कोई बच  सकता नहीं | 

सब कुछ हार गए तो क्या, क्यूँ तुम निराश हो |
सृष्टि थी समाप्त, जब जग था पूर्ण जल मग्न ,
क्या हारे थे मनु, भूल कर पुनःसृजन का स्वप्न,
उठो, स्मरण रहे मनु पुत्र हो तुम , तुम मनुष्य हो ||

शत प्रयत्न असफल हुए; तो क्या , तुम नही असफल हो |
भागीरथ रुक जाते, तो वंचित रह जाता जग भागीरथी के अवतरण से|
बुझते दिए की लौ भी आंखिरी सांस चीख के लेती है,
छोड़ असफलता का मोह, मनुज, अनिराश तू फिर प्रयत्न कर ||


__________________________

Mujhko itni himmat dilwa de - Ajay Tiwary


मुझको इतनी हिम्मत दिलवा दे +
______________________________________

कोलाहल से ऊपर उठती हो
ऐसी बुलंद आवाज़ दिलवा दे|
उल्टी धार में भी मुझको
पतवार चलाना सिखला दे|
रेंग रहा हूँ पृथ्वी पर कब से
मुक्त आकाश की पतंग बनवा दे|
मुझको इतनी हिम्मत दिलवा दे|

आलोचनाओं के झंझावातों में भी
सिर ऊंचा रखना सिखला दे|
मुश्किलों के अंधड़ में भी
वक्ष खोल चलना सिखला दे|
अत्याचारों को सहने की
कायरता से मुक्ति दिलवा दे|
मुझको इतनी हिम्मत दिलवा दे|

सच को सच कह पाऊँ जो
ऐसी अद्भुत शक्ति दिलवा दे|
रिपु को गले लगा लूँ  जो
ऐसी चमत्कारिक युक्ति बतला दे|
तुझसे विश्वास न हटे कभी
ऐसी अविराम भक्ति दिलवा दे|
मुझको इतनी हिम्मत दिलवा दे|

दुर्गम पथरीली राहों पर निर्भय
आगे बढ़ने के गुर बतला दे|
प्यार की खातिर ग़म सहने का
पर्वतसम सम्बल दिलवा दे|
उगते सूर्य की प्रथम रश्मि का
एक अग्रणी अश्वारोही बनवा दे|
मुझको इतनी हिम्मत दिलवा दे|



दुखियारों के दुख में हमदम हो
आँसू दो बहाना सिखला दे|
कृत्रिमता में जकड़े जग में
पुनः बाल्यसम किलक बँटवा दे|
अपनी कमियों पर हँस कर
अपनाने का रज सिखला दे|
मुझको इतनी हिम्मत दिलवा दे|

~~ अजय तिवारी ~~

______________________________________