Wednesday, July 25, 2012

Barish - Mamta Sharma

बारिश
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बारिश की बूंदों ने मिल कर छेड़ा  राग टपा - टप का
जोर - जोर कभी धीरे - धीरे लगा रहा ताँता उनका
जब कुछ तेज कड़क कर बिजली बोली बादल राजा को ,
कर दो वृष्टि तेज - तेज व् दे दो  नीर रियाया को !


होने दो कुछ सृजन पृथ्वी पर आने दो कुछ माया को
सुन झट उसने मेघ - मल्हार सुनाया बिजली को
अब उसने सुनी बात रानी की और बरसाया जल फिर खूब
पानी पा अपनी धरती माँ फिर देने लगी यूं फसलें खूब


  चारो ऑर हरियाली फैली और खूब फले फूले सब लोग
बारिश की बोछार ने सबको किया अचानक फिर सराबोर
बारिश रानी तेरे कारण मिला है सुख फिर सबको फिर  आज
तेरे आने से ही मंगल , हुआ है फिर खेतों का राज

 
 मिलता सुख सब और सभी को ,मिलती रहती फिर से आस
बारिश रानी आती रहना , बुझाती रहना सबकी प्यास.
पेड़ व् पौधे सड़कें खेत, प्यासे मन या फिर त्यौहार
हम धरती के वासी चाहें भीगना तुझ मैं सौ सौ बार !

ममता शर्मा
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