Friday, July 22, 2011

Ab akele chalna hoga – Gaurav mani khanal

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Rainbow  अब अकेले चलना होगा Coffee cup

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अब अकेले चलना होगा
चला हु अब तक ऐ  दोस्त तेरे साहरे,
पर चलना होगा अब मुझे अकेले,
अपने कर्मो के फलो को भोगना होगा,
बन्धु मेरे अब अकेले चलना होगा,
तेरी कमी हर पल सताएगी,
हँसी पुरानी फिर चेहरे पर नही आएगी,
पर यादो को संजोना होगा,
यार मेरे अब अकेले चलना होगा,
कभी शाम तनहा रुलाएगी,
सच कहता हु तेरी याद बहुत आएगी,
पर बनाकर दोस्त आपने अकेलेपन को,
सखा मेरे अब अकेले चलना होगा,
जीवन का पथ ही ऐसा है,
हर मोड़ पर कुछ मिलता कुछ खोता है,
मिलने छुटने के फेरो से अब निकलना  होगा,
साथी मेरे अब अकेले चलना होगा,
अब आपनी पहचान बनानी होगी,
जीवन संघर्ष की लड़ाई अकेले लड़नी होगी,
जीत कर इस लड़ाई को तेरा मान रखना होगा,
दोस्त मेरे अब अकेले चलना होगा,
दुनिया की चालो को पढना होगा,
धर्मं आर्थ काम मोक्ष को साधना होगा,
मानुष जन्म को सफल बनाना होगा,
मित्र मेरे अब अकेले चलना होगा,


             गौरव मणि खनाल.

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Adhunik Sanskar - Kusum

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Sun आधुनिक संस्कार Fingers crossed

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न जाने क्यों मेरी आखें नम थी ।
न जाने किस दर्द में गुम थी ।
किसी भ्रम में या किसी स्वपन में गुम थी।
देख रही थी शायद आधुनिकता को ,
या फिर ढूढ़ रही थी पुराने संस्कारो को
न जाने किस चीज़ की उसको तलाश थी ।
आज अचानक देखे गए दृश्यों से दंग
थी ।
या हो रहे अत्याचार से तंग थी ।
कल तक जिसने हाथ पकड़ कर चलना सिखाया था
अपने मुह का निवाला भी तुमको खिलाया था
आज उसी के लिए अपने घर पर जगह नहीं ,
आज उसकी कोई कीमत या कदर नहीं,

क्यों छोड़ देते है अकेला उनको ,
जिन्होंने स्वपन देखने सिखाये हो तुमको ।

राहो मे चलना सिखाया हो तुमको ।।

Red rose कुसुम  

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Friday, July 1, 2011

Sapna sa lage - Ankita Jain "Bhandari"

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सपना सा लगे
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गरजते बदरा की धुन सा लगे,
तो कभी बारिश की फुहार की छुवन सा लगे !
क्यूँ वो अनजान चेहरा मुझे अपना सा लगे,
पर जब पाने को हाथ बढाऊं तो सपना सा लगे !!
 
कभी सितार की मधुर सरगम सा लगे,
तो कभी तेज़ बारिश की छनछन सा लगे !
क्यूँ उसके अहसास से तनहा राहों पर दिया सा जले,
पर जब पाने को हाथ बढाऊं तो सपना सा लगे !!

जाने कबसे वो संगसंग मेरी धड़कन के चले,
जाने कबसे वो आकर इन ख्यालों में बसे !
है इंतज़ार उस लम्हे का जब वो इन ख्वाबों से निकले,
और जब पाने को हाथ बढाऊं तो इक सच सा लगे !!

~~ अंकिता जैन "भंडारी" ~~
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Mitne wali raat nahi - Anand Vishwas

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                मिटने वाली रात नहीं ........
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दीपक की है क्या बिसात , सूरज के वश की बात नहीं,
चलते - चलते थके सूर्य , पर मिटने वाली रात नहीं.

चारों ओर निशा का शाशन,
सूरज भी निश्तेज हो गया.
कल तक जो पहरा देता था,
आज वही चुपचाप सो गया.

सूरज भी दे दे उजियारा , ऐसे अब हालत नहीं,
चलते-चलते ..............................

इन कजरारी काली रातों में,
चन्द्र-किरण भी लोप हो गई.
भोली - भाली गौर वर्ण थी,
वह रजनी भी ब्लैक हो गई.

सब सुनते हैं, सब सहते, करता कोई आघात नहीं,

चलते-चलते.............................

सूरज तो बस एक चना है,
तम का शासन बहुत घना है.
किरण - पुंज भी नजर बंद है,
आँख खोलना सख्त मना है.

किरण पुंज को मुक्त करा दे, है कोई नभ जात नहीं,
चलते-चलते ..........................

हर दिन सूरज आये जाये,
पहरा चंदा हर रात लगाये.
तम का मुंह काला करने को,
हर शाम दिवाली दिया जलाये.

तम भी नहीं किसी से कम है, खायेगा वह मात नही,

चलते-चलते .............................

ढह सकता है कहर तिमिर का,
नर तन यदि मानव बन जाये.
हो सकता है भोर सुनहरा,
मन का दीपक यदि जल जाये.

तम के मन में दिया जले, तब होने वाली रात नहीं,

चलते-चलते ............................

~~आनन्द विश्वास~~
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Pita - Gaurav Mani Khanal

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पिता
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जिनकी उंगली पकड़ सिखा चलना,

जिनके सहारे से सिखा मुसीबतों से लड़ना,

जिन्होंने कर दिया त्याग आपने अरमानो का मेरे लिए,

दिन रात बिना आराम किया काम मेरी इच्छा पूर्ति लिए,



बनकर सच्चा दोस्त सदा मेरा साथ निभाया,

बनकर गुरु दुराहे पर सही मार्ग दिखाया,

बनकर भाई दुःख सुख मे गले लगाया,

बनकर योध्या जीवन संघर्ष का पाठ पढाया,



भूल गए आपने दर्द मेरी हँसी के लिए,

रोये अकेले मे मेरी उदासी के लिए,

थके नहीं कभी मेरे संग संग चले,

कैसे हो हालात हाथ कभी नही छोड़े,



माँगा नही रब से कभी कुछ आपने लिए,

मेरी ही ख़ुशी बस एक चाहत उनकी,

त्याग समर्पण नि:स्वार्थ प्रेम,

पिता और ईश्वर मे नही कोई भेद,



नहीं हो सकता है वर्णन पिता के उपकारो का,

नहीं हो सकता है वर्णन पिता के बलिदानों का,

करू जितनी भी वंदना पिता के पावन चरणों की,

नहीं गा सकता हु महिमा भगवान स्वरूप पिता की,



बस इतनी विनती करता हु परम दयालु भगवान से,

दुःख ना आये कभी मेरे पिता के भाग्य मे,

बना देना लायक इतना है परमेश्वर,

की दे सकु सारी खुशिया और सुख आपने पिता भगवान को..



~~ गौरव मणि खनाल ~~
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